लफ्ज़-ओ-हुनर तुझसे न था, था कहीं दबा मेरे ही अंदर,
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया,
वक़्त मिलता था तो कभी, रू-ब-रू हो जाता था अंदर ही अंदर,
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया...
लफ्ज़ जो अधूरे से थे, खुद मेरे ही अंदर,
तड़पते रहते थे, कहीं दिल के कोनो में,
तेरे आने से उस, मैं को हासिल कर गया,
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया...
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया,
वक़्त मिलता था तो कभी, रू-ब-रू हो जाता था अंदर ही अंदर,
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया...
लफ्ज़ जो अधूरे से थे, खुद मेरे ही अंदर,
तड़पते रहते थे, कहीं दिल के कोनो में,
तेरे आने से उस, मैं को हासिल कर गया,
पर तेरे जाने से मुझको, मेरे मैं का रास्ता मिल गया...
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