Sunday, February 20, 2011

साथ तुम्हारे गुज़रा, हर लम्हा याद आने लगा...

साथ तुम्हारे गुज़रा, हर लम्हा याद आने लगा,
कदम-ब-कदम मिलते रहे, साज़ दिल गाने लगा,
जानता था, दोनों में फासले है दरमियाँ,
पर तुमको देखता रहा और लम्हा-लम्हा वक़्त गुज़रता जाने लगा,
सोचा थाम लू तुमको जाते-जाते,
पर कल मिलने का बहाना, याद आने लगा,
कदम-ब-कदम मिलते रहे, साज़ दिल गाने लगा,
साथ तुम्हारे गुज़रा, हर लम्हा याद आने लगा...

2 comments:

  1. अच्छी नज्म है लिखते रहिए। आभार।

    ReplyDelete
  2. @Ehsas: शुक्रिया...आभार :)

    ReplyDelete