Friday, February 25, 2011

नौ से पांच ज़िन्दगी...

लम्हे सिमट कर रह गए, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में, 
साँसे अटक कर रह गयी, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
ज़िन्दगी की हर सुबह, नौ से शुरू हो पांच पर सिमट कर रह गयी,
भागती ज़िन्दगी की दौड़ में, चंद घड़िया पीछे रह गयी,
लम्हे सिमट कर रह गए, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
साँसे अटक कर रह गयी, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
उम्र बढती रही, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
पर मैं चलता रहा, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
लम्हे सिमट कर रह गए, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में,
साँसे अटक कर रह गयी, इस नौ से पांच ज़िन्दगी में...

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

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  2. @Patali-The Village- धन्यवाद!!

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