Thursday, February 17, 2011

आज अँधेरे कमरों में, कुछ रौशनी सी आई है...

आज अँधेरे कमरों में, कुछ रौशनी सी आई है,
सूरज की किरणों के संग, कुछ नर्म एहसास सा लायी है,
एक नए पल की शुरुआत है ये, या अब भी डूबा हूँ तेरे ही ख्यालों में,
न जाने क्या रौशनी के संग, साथ ले कर आई है...
 
भटका था रात भर, तेरे गम के अँधेरे में, 
जाने किसका गम था, जो रात ले कर आई थी,
आज अँधेरे कमरों में, कुछ रौशनी सी आई है,
सूरज की किरणों के संग, कुछ नर्म एहसास सा लायी है...

तनहा मैं नहीं था, रात की तरह,
तनहा रात थी, शायद मेरी तरह,
रात गुजरी थी यादों में तेरी भीग कर,
जाने किसका गम था, जो रात ले कर आई थी,
आज अँधेरे कमरों में, कुछ रौशनी सी आई है,
सूरज की किरणों के संग, कुछ नर्म एहसास लायी है...

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