लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Friday, March 18, 2011
आज बड़ी घुटन है अन्दर...
आज बड़ी घुटन है अन्दर, कोफ़्त भी बहुत होती है,
शायद तेरा ख्याल सता रहा है, जिसकी कमी तुम्हे कभी महसूस न होती है,
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