क्यूँ उलझनों में उलझा है दिल, सुनता नहीं मेरी,
क्यूँ जज्बातों से भरा है दिल, कहता बस तेरी
मैं जो सोचू कुछ और तो, कुछ और ही करता है दिल,
न जाने क्यूँ, तेरे ख्यालों में डूबा रहता है दिल,
हर सवालों-जवाबों में, बस तेरी ही गुफ्तगू करता है दिल,
न जाने क्यूँ, बस तेरे ही ख्यालों में डूबा रहता है दिल...
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