Tuesday, June 14, 2011

क्यूँ उलझनों में उलझा है दिल...

क्यूँ उलझनों में उलझा है दिल, सुनता नहीं मेरी, 
क्यूँ जज्बातों से भरा है दिल, कहता बस तेरी
मैं जो सोचू कुछ और तो, कुछ और ही करता है दिल,
न जाने क्यूँ, तेरे ख्यालों में डूबा रहता है दिल,
हर सवालों-जवाबों में, बस तेरी ही गुफ्तगू करता है दिल,
न जाने क्यूँ, बस तेरे ही ख्यालों में डूबा रहता है दिल...

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