आज, तबियत कुछ न-साज़ सी क्यूँ है, लफ्ज़ भी न मिलते कुछ ख़ास से क्यूँ है,
क्यूँ किसी के जाने से दिल गम-ज़दा है, आज मेरे लफ़्ज़ों में वो बात सी न है,
चाहतें कभी पूरी न हुई हसरत-इ-दिल मेरी, फिर भी तेरे होने का एक एहसास सा क्यूँ है,
क्यूँ किसी के जाने से दिल गम-ज़दा है, आज मेरे लफ़्ज़ों में वो बात सी न है,
आज तबियत कुछ न-साज़ सी क्यूँ है, लफ्ज़ भी न मिलते कुछ ख़ास से क्यूँ है...
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