Thursday, June 16, 2011

चाँद को लहराते बादलों में छुपता देख...

चाँद को लहराते बादलों में छुपता देख, दिल में यह सवाल आया,
ये तू है, तेरी जुत्सुजू है या फिर तेरी यादों का साया, 
दुपट्टे की ओट में, बनते बिगड़ते तेरे चेहरों में, 
क्यूँ दिल खोजता है, मेरी हसरतों का साया,
दूर था पर वाकिफ सा था जो चेहरा यादों में,
क्यूँ न लगता आज, अपना सा साया,
ये तू है, तेरी जुत्सुजू है या फिर तेरी यादों का साया,
चाँद को लहराते बादलों में छुपता देख, दिल में यह ख्याल आया...

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