आज सुबह की रौशनी, कुछ बे-बाक, कुछ पाक सी है,
पत्तियों पर ओस की बूँद, कुछ नम, कुछ साफ़ सी है,
सूरज की रौशनी, छूने लगी मन की गहराईयों को,
ठंडी मुस्कुराती हवा, बालों में छेड़ने लगी नर्माइयों को,
अठखेलियाँ करती तितलियाँ, भवरों से अलग,
चेहचाहती सुरधावानियाँ, बागों से अलग,
फूलों के बाग़ में, यूँ छायी सी है,
आज सूरज की रौशनी, संग कुछ नयी तपिश लायी सी है,
सुबह की रौशनी. कुछ नर्म, कुछ पाक सी है,
पत्तियों पर ओस की बूँदें, कुछ नम, कुछ साफ़ सी है...
पत्तियों पर ओस की बूँद, कुछ नम, कुछ साफ़ सी है,
सूरज की रौशनी, छूने लगी मन की गहराईयों को,
ठंडी मुस्कुराती हवा, बालों में छेड़ने लगी नर्माइयों को,
अठखेलियाँ करती तितलियाँ, भवरों से अलग,
चेहचाहती सुरधावानियाँ, बागों से अलग,
फूलों के बाग़ में, यूँ छायी सी है,
आज सूरज की रौशनी, संग कुछ नयी तपिश लायी सी है,
सुबह की रौशनी. कुछ नर्म, कुछ पाक सी है,
पत्तियों पर ओस की बूँदें, कुछ नम, कुछ साफ़ सी है...