आज फिर उनसे मुलाकात हो गयी,
आँखों-आँखों में जाने कितनी बात हो गयी,
होंठ न उनके हिले, न हम कुछ कह सके,
फिर क्यूँ आँखों में यूँ बरसात हो गयी...
तनहा खड़े देखते रहे, भीड़ में खोते उन्हें,
लम्हा थमाते रहे, आँख से ओझल होते उन्हें,
अश्कों के जैसे, लफ़्ज़ों की बरसात हो गयी,
आँखों-आँखों में जाने कितनी बात हो गयी,
जाते-जाते भी, मुड़ कर देखना न भूले वो,
दूर जाते-जाते भी, फिर मिलना कहना न भूले वो,
होंठ न उनके हिले, न हम कुछ कह सके,
फिर क्यूँ आँखों में यूँ बरसात हो गयी,
आज फिर उनसे मुलाकात हो गयी,
आँखों-आँखों में जाने कितनी बात हो गयी...
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