वक़्त बदल गया, हर अलफ़ाज़ बदल गया,
उनके कहने, सुनने का साज़ बदल गया,
एक गुनाह सा लगने लगा, गुफ्तुगू करना अब तो,
जाने क्यूँ यूँ वक़्त का लिबास बदल गया,
हर लफ्ज़, जो कभी नशे के काबिल था,
हर शाम, जो कभी जाम सी काबिल थी,
आज न जाने क्यूँ, सारा आलम बदल गया,
जाने क्यूँ यूँ वक़्त का लिबास बदल गया...
था मुनासिब पहले भी, दिल की हसरतों को रोकना,
तो न जाने आज फिर, दिल की हसरतों का उबाल बदल गया,
एक गुनाह सा लगने लगा है, गुफ्तुगू करना अब तो,
जाने क्यूँ ऐसा वक़्त का लिबास बदल गया,
वक़्त बदल गया, हर अलफ़ाज़ बदल गया,
उनके कहने, सुनने का हर साज़ बदल गया,
हर लफ्ज़, जो नशे के काबिल था,
आज वो लफ़्ज़ों का, लिबास बदल गया...
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