Wednesday, October 12, 2011

तेरे बिन बुरे से थोड़े कम है...

हाँ! नदी तू, किनारा तेरा हम है,
तेरे बिना बेसहारा जैसे हम है,
तेरे बिन गुज़ारे कैसे दिन है,
तेरे बिन बुरे से थोड़े कम है...
साथ तेरे मुस्कान जैसे हम है,
आँखों की रौशनी में, काजल की शान जैसे हम है,
होंठों पर हलकी सुर्ख़ियों में, लाल जैसे हम है,
आईने में झिल-मिल अक्स की शान जैसे हम है,
हाँ! तेरे बिन बेसहारा जैसे हम है,
तेरे बिन बुरे से थोड़े कम है...

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