Tuesday, October 4, 2011

एक और दिन ढल गया, एक और रात हो गयी...

एक और दिन ढल गया, एक और रात हो गयी,
तुमसे कहने-सुनने की, आँखों में बात हो गयी,
दिल की हसरतों का भवर, यूँ उठा,
कि दिल के साहिल पर बैठे, आशिक से मुलाकात हो गयी,
एक और दिन ढल गया, एक और रात हो गयी,
तुमसे कहने-सुनने की, आँखों में बात हो गयी...
होसला मेरे लफ़्ज़ों का, दरिया की गहराईयों सा था,
नशा तेरे प्यार का, चाँद की रुसवाइयों सा था,
ख़्वाबों में तुझसे, कल मुलाकात हो गयी,
एक और दिन ढल गया, एक और रात हो गयी,
दिल के साहिल पर बैठे, खुद के आशिक से मुलाकात हो गयी...

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