Wednesday, December 7, 2011

अचानक...

क्यूँ दर्द सा बढ़ जाता है अचानक,
क्यूँ याद आता है बीता लम्हा अचानक,
मैं तो भूल चूका था तनहा तेरी यादों को,
फिर क्यूँ यूँ वापस आया है यह दर्द अचानक,
सोचते-सोचते, क्यूँ गम की गर्दिश में बात रह गयी अधूरी,
अश्क तकिये पर बिखरते रहे और रात रह गयी अधूरी,
खुद की नज़रों से नज़रें मिलाने की कोशिश जो की मैंने,
क्यूँ खुद की आँखों में बात रह गयी अधूरी...

No comments:

Post a Comment