एक फासला जो दरमियान है, क्यूँ काटता नहीं मगर,
मैं चाह कर भी तुझे पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर,
ख़्वाब तुम्हारे साथ क्यूँ चलते, जानूं न मगर,
तुझे चाह कर भी क्यूँ पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर...
साथ तुम्हारा, हर पल, हर लम्हा, रहता है मगर,
पास तुम हो कर, भी दूर हो जैसे, आता है नज़र,
सिर्फ एक झलक को, क्यूँ तरसे निगाहें, मैं जानूं न मगर,
एक फासला, जो दरमियान है, क्यूँ कटती नहीं डगर,
तुझे चाह कर भी क्यूँ पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर...
मैं चाह कर भी तुझे पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर,
ख़्वाब तुम्हारे साथ क्यूँ चलते, जानूं न मगर,
तुझे चाह कर भी क्यूँ पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर...
साथ तुम्हारा, हर पल, हर लम्हा, रहता है मगर,
पास तुम हो कर, भी दूर हो जैसे, आता है नज़र,
सिर्फ एक झलक को, क्यूँ तरसे निगाहें, मैं जानूं न मगर,
एक फासला, जो दरमियान है, क्यूँ कटती नहीं डगर,
तुझे चाह कर भी क्यूँ पा न सकू, क्यूँ लगता है यह डर...
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