Wednesday, December 7, 2011

छट गए सारे बदरा...

छट गए सारे बदरा, अंधियारे की छाव आ गयी,
कुछ बूँदें तन पर गिरी, मेरे अश्कों में समां गयी,
मैं जो खुल के यूँ रोया, जाने किस-किस सोच में,
न जाने कहाँ से, तेरी तस्वीर आँखों में आ गयी,
मैं दूर था तुझसे या खुद से, यह मालूम न था,
तू दूर थी मुझसे या मैं तुझसे, यह मालूम न था,
भीगता रहा तनहा, जाने क्यूँ बूँदें मुझमे समां गयी,
छट गए सारे बदरा, अंधियारे की छाव आ गयी...

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