लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Monday, September 27, 2010
दुओं में तुम रहोगी...
दुआओ में तुम रहोगी, सदाओं में तुम रहोगी,
खुदा की हर इबादत की तरह, अदाओ में तुम रहोगी,
खुदा से गुज़ारिश रहेगी मेरी, हर दुआ में तेरा नाम आये,
गर कबूल हो तो दुआ में मेरे सर पर तेरा हाँथ आये...माँ
प्रयास अच्छा...ये दुओं और सदों क्या है...दुआएं और सदाएं होती हैं
ReplyDeletewah wah
ReplyDelete@Veena Ji: गलतियों के लिए तह-इ-दिल से माफ़ी और लफ़्ज़ों में सुधार के लिए आभार! शुक्रिया!!
ReplyDelete@Madhav ji: धन्यवाद!!