आज सुबह वो सूरज, कुछ देर से आया है,
आज न ठंडी धुप, न वो ताजगी लाया है,
जाने क्यूँ तपिश है आग जैसी, आज उनकी आँखों में,
मैं तो कल भी वही था, जो आज मुझको पाया है...
कल रात जो बरसी घटा, गम मेरा भी बह गया,
रात तरसती रही और मैं तनहा रह गया,
जाने क्यूँ तपिश है आग जैसी, आज उनकी आँखों में,
मैं तो कल भी वही था, जो आज मुझको पाया है,
आज न ठंडी धुप, न वो ताजगी लाया है,
आज सुबह वो सूरज, कुछ देर से आया है....
आज न ठंडी धुप, न वो ताजगी लाया है,
जाने क्यूँ तपिश है आग जैसी, आज उनकी आँखों में,
मैं तो कल भी वही था, जो आज मुझको पाया है...
कल रात जो बरसी घटा, गम मेरा भी बह गया,
रात तरसती रही और मैं तनहा रह गया,
जाने क्यूँ तपिश है आग जैसी, आज उनकी आँखों में,
मैं तो कल भी वही था, जो आज मुझको पाया है,
आज न ठंडी धुप, न वो ताजगी लाया है,
आज सुबह वो सूरज, कुछ देर से आया है....
जिन्दगी की इस आपाधापी में सूरज का देर से आना जाना तो हमेशा लगा रहेगा दोस्त, पर मैं आपको वही देखना चाहूँगा जहा आज तक देखता आया हूँ| आपकी इस कोशिस को तहे दिल से सम्मान देता हूँ|
ReplyDelete@Gaurav: शुक्रिया (तह-इ-दिल से) :)
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