न मिलती नज़र तुझसे अगर, यह सोच कर जाने क्या करता,
दूर से तुमको देख कर ही, बस ठंडी आहें भरता,
न होता रू-ब-रू अक्स मुझसे खुद, जो तेरे मेरे अक्स साथ नहीं,
इस कशमकश को सोच कर ही, बस ठंडी आहें भरता,
न मिलती नज़र तुझसे अगर, यह सोच कर जाने क्या करता,
दूर से तुमको देख कर ही, बस ठंडी आहें भरता...
दिलकश अल्फ़ाज़ !
ReplyDelete@Jagdish Bali ji: शुक्रिया!!
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