तू पत्थर की मूरत है, फिर क्यूँ तू बलवान है,
न जीवन, न मृत्यु, फिर क्यूँ तू भगवान् है,
कभी अच्छा, कभी बुरा, क्यूँ तेरी ऐसी काया है,
न तू अच्छा, न मैं अच्छा, फिर क्यूँ ऐसी यह माया है,
तू पत्थर की मूरत है, फिर क्यूँ तू बलवान है,
न जीवन, न मृत्यु, फिर क्यूँ तू भगवान् है,
बन अघोरी वन में मैंने, जो यूँ बरसों तप किया,
बन एक ढोंगी, वन में मुझसे, क्यूँ यूँ मेरा जप लिया,
मांगे जो वरदान यूँ मैंने, मैला-कुचला तन दिया,
कह मुझको मानव, श्रेष्ठ रचना, मैला-कुचला तन दिया,
तू पत्थर की मूरत है, फिर क्यूँ तू बलवान है,
न जीवन, न मृत्यु, फिर क्यूँ तू भगवान् है...
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