दूर गाँव से चल कर आये, चौहान साब हमारे,
पतली काया, पतले, चेहरे वाले, चौहान साब हमारे,
उत्तरांचली बोली, धूमिल छाया,
दिल्ली की गलियों में, क्या खोया, क्या पाया,
जाने, कौन-कौन सा ज्ञान छुपाये, बैठे साब हमारे,
पतली काया वाले, चौहान साब हमारे,
गेम-शेमे की दुनिया के, बेताज खिलाड़ी वो,
बातों ही बातों में, करतब दिखलाते वो,
नाराज़ न होते कभी, सदा मुस्कुराते वो,
बातों ही बातों में, खुद घुल से जाते वो,
अपनी ही काया में, खो जाते साब हमारे,
वो आये देखो, चौहान साब हमारे...
पतली काया, पतले, चेहरे वाले, चौहान साब हमारे,
उत्तरांचली बोली, धूमिल छाया,
दिल्ली की गलियों में, क्या खोया, क्या पाया,
जाने, कौन-कौन सा ज्ञान छुपाये, बैठे साब हमारे,
पतली काया वाले, चौहान साब हमारे,
गेम-शेमे की दुनिया के, बेताज खिलाड़ी वो,
बातों ही बातों में, करतब दिखलाते वो,
नाराज़ न होते कभी, सदा मुस्कुराते वो,
बातों ही बातों में, खुद घुल से जाते वो,
अपनी ही काया में, खो जाते साब हमारे,
वो आये देखो, चौहान साब हमारे...
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