वो, आये बैठे सिरहाने, क्यूँ सांसें थम सी गयी,
वक़्त चलता रहा, क्यूँ बातें थम सी गयी,
काजल की दरकार में छुपाये, बैठे थे कुछ बातें,
नज़रें मिलते ही क्यूँ, बातें थम सी गयी,
कुछ कहने की आस में बैठे थे मेरे सिरहाने,
कुछ भी न कह कर, सारी बातें कह गयी,
वक़्त चलता रहा, फिर क्यूँ बातें थम सी गयी,
वो आये बैठे मेरे सिरहाने और सांसें थम सी गयी...
कभी देखते नज़रों के कोने सी, होंठों पर बुदबुदाहट और मुस्कान लिए,
पास बैठे रहे बहुत देर तक, अपनी एक पहचान लिए,
काजल के नीचे छुपाये थे कुछ बातें,
न जाने क्यूँ नज़रें मिलते ही, बातें थम सी गयी,
वो आये बैठे मेरे सिरहाने और मेरी सांसें थम सी गयी...
वक़्त चलता रहा, क्यूँ बातें थम सी गयी,
काजल की दरकार में छुपाये, बैठे थे कुछ बातें,
नज़रें मिलते ही क्यूँ, बातें थम सी गयी,
कुछ कहने की आस में बैठे थे मेरे सिरहाने,
कुछ भी न कह कर, सारी बातें कह गयी,
वक़्त चलता रहा, फिर क्यूँ बातें थम सी गयी,
वो आये बैठे मेरे सिरहाने और सांसें थम सी गयी...
कभी देखते नज़रों के कोने सी, होंठों पर बुदबुदाहट और मुस्कान लिए,
पास बैठे रहे बहुत देर तक, अपनी एक पहचान लिए,
काजल के नीचे छुपाये थे कुछ बातें,
न जाने क्यूँ नज़रें मिलते ही, बातें थम सी गयी,
वो आये बैठे मेरे सिरहाने और मेरी सांसें थम सी गयी...
No comments:
Post a Comment