करतब-इ-दिल, हाल-इ-बयान, मुज्ज़स्सल हो गया,
सोचा था खुदा और क्या बयान हो गया,
शायरी का खुमार यूँ जागा, हाल-इ-दिल गुलज़ार हो गया,
सोचा था खुदा और क्या बयान हो गया,
नरगिसी आँखों का मंज़र यूँ छाया, कि मय का तलबगार हो गया,
आँखों में जो खोया, खुद की चाहत से पार हो गया,
सोचा था खुदा और हाल-इ-दिल बयान हो गया,
करतब-इ-दिल, हाल-इ-बयान, मुज्ज़स्सल हो गया...
सोचा था खुदा और क्या बयान हो गया,
शायरी का खुमार यूँ जागा, हाल-इ-दिल गुलज़ार हो गया,
सोचा था खुदा और क्या बयान हो गया,
नरगिसी आँखों का मंज़र यूँ छाया, कि मय का तलबगार हो गया,
आँखों में जो खोया, खुद की चाहत से पार हो गया,
सोचा था खुदा और हाल-इ-दिल बयान हो गया,
करतब-इ-दिल, हाल-इ-बयान, मुज्ज़स्सल हो गया...
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