Wednesday, November 2, 2011

हश्र मेरे अरमानों का...

हश्र मेरे अरमानों का, कुछ यूँ हुआ इस तरह,
कि मुस्कराहट-मुस्कराहट में, दिल निसार हो गया,
मैं तनहा बैठा सोच में, लफ़्ज़ों का तलबगार हो गया,
तनहा चाँद, तनहा रात, क्यूँ तन्हाई का शिकार हो गया,
हश्र मेरे अरमानों का, कुछ यूँ हुआ इस तरह,
कि मुस्कराहट-मुस्कराहट में, दिल निसार हो गया...

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