वो देखो आये, चौहान साहब हमारे,
गाँव की कच्ची गलियों से, लाये बातों के पिटारे,
पतली काया, पतली छाया में जाने क्या-क्या समाया,
ख़्वाबों का पुलिंदा लिए, चलते साहब हमारे,
गाँव की कच्ची गलियों से, लाये बातों के पिटारे,
कभी लड़ते, कभी झगड़ते, रहते सारे दिन,
प्रवीण-प्रवीण की रट लगा कर, घुमे हर पलछिन,
धुन में खुद की रहते, यह साहब हमारे,
वो देखो आये, चौहान साहब हमारे,
मुकेश के गीतों के यह है फेन,
गीत बजा कर ले लेते चैन,
गौतम के प्यारे, सर के दुलारे है साहब हमारे,
वो देखो आये, चौहान साहब हमारे...
गाँव की कच्ची गलियों से, लाये बातों के पिटारे,
पतली काया, पतली छाया में जाने क्या-क्या समाया,
ख़्वाबों का पुलिंदा लिए, चलते साहब हमारे,
गाँव की कच्ची गलियों से, लाये बातों के पिटारे,
कभी लड़ते, कभी झगड़ते, रहते सारे दिन,
प्रवीण-प्रवीण की रट लगा कर, घुमे हर पलछिन,
धुन में खुद की रहते, यह साहब हमारे,
वो देखो आये, चौहान साहब हमारे,
मुकेश के गीतों के यह है फेन,
गीत बजा कर ले लेते चैन,
गौतम के प्यारे, सर के दुलारे है साहब हमारे,
वो देखो आये, चौहान साहब हमारे...
No comments:
Post a Comment