सर्द है रातें, पर जल रहा हूँ मैं,
यादों में तेरी, क्यूँ गल रहा हूँ मैं,
अधूरे ख़्वाबों का आसमान लिए, क्यूँ स्याह समुन्दर में पिघल रहा हूँ मैं,
क्यूँ तनहा यादों को, साथ लिए चल रहा हूँ मैं,
एक लम्बा फासला है जो, दूरी बन बैठा है अब,
कल वो रास्ते भी छोटे थे, जो मीलों लम्बे हो चुके है अब,
गुज़रता रोज़ हूँ, उन्ही गली, कूचे, दरवाजों से, जहाँ कल तुझको पाया था,
गुज़रता अब हूँ, उन्ही चौक, रास्ते, चोबारों से, जहाँ तनहा मेरा साया था,
एक रात लम्बी थी कभी, जो कटती नहीं थी दरमियान,
एक रात लम्बी है अभी, जो मिटती नहीं है दरमियान,
कुछ अधूरे ख़्वाबों का आसमान लिए, स्याह समुन्दर में पिघल रहा हूँ मैं,
क्यूँ तेरी तनहा यादों के साथ चल रहा हूँ मैं,
यादों में तेरी, क्यूँ गल रहा हूँ मैं,
सर्द है रातें, पर जल रहा हूँ मैं...
यादों में तेरी, क्यूँ गल रहा हूँ मैं,
अधूरे ख़्वाबों का आसमान लिए, क्यूँ स्याह समुन्दर में पिघल रहा हूँ मैं,
क्यूँ तनहा यादों को, साथ लिए चल रहा हूँ मैं,
एक लम्बा फासला है जो, दूरी बन बैठा है अब,
कल वो रास्ते भी छोटे थे, जो मीलों लम्बे हो चुके है अब,
गुज़रता रोज़ हूँ, उन्ही गली, कूचे, दरवाजों से, जहाँ कल तुझको पाया था,
गुज़रता अब हूँ, उन्ही चौक, रास्ते, चोबारों से, जहाँ तनहा मेरा साया था,
एक रात लम्बी थी कभी, जो कटती नहीं थी दरमियान,
एक रात लम्बी है अभी, जो मिटती नहीं है दरमियान,
कुछ अधूरे ख़्वाबों का आसमान लिए, स्याह समुन्दर में पिघल रहा हूँ मैं,
क्यूँ तेरी तनहा यादों के साथ चल रहा हूँ मैं,
यादों में तेरी, क्यूँ गल रहा हूँ मैं,
सर्द है रातें, पर जल रहा हूँ मैं...
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