Tuesday, April 1, 2014

चाँद...

















सुबह के बादलों से चाँद झांकता रहा,
मैं, रात भर चलता रहा और वो ताकता रहा,
जलता रहा मिलन की तपिश में रात भर,
और वो मुझे सपनों में ताकता रहा ।
अजब सी ख्वाहिश थी उसकी,
वो भी चलता रहा मैं भी ताकता रहा,
खेल से आँख-मिचोली का, उसकी आँखों में झांकता रहा,
अठखेलियाँ लिए वो मुझको ताकता रहा,
जलता रहा मिलन की तपिश में रात भर,
और वो मुझे सपनों में ताकता रहा ।।

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