Sunday, April 20, 2014

अच्छा लिखने की ख़ातिर...















कुछ अच्छा लिखने की ख़ातिर,
वो दर्द कहाँ से लाऊं,
घाव बड़े गहरे है दिल पर,
पर, वो मर्ज़ कहाँ से लाऊं,
अपनों में पराये ढूंढें,
अपनों की तर्ज़ कहाँ से लाऊं,
कुछ अच्छा लिखने की ख़ातिर,
वो दर्द कहाँ से लाऊं ।

कलम बड़ा तन्हा सा था,
दर्द का भी लम्हा सा था,
घाव की विरहा गहरी,
पर, वो अर्ज़ कहाँ से लाऊं,
अपनों में पराये ढूंढें,
अपनों की तर्ज़ कहाँ से लाऊं,
कुछ अच्छा लिखने की ख़ातिर,
वो दर्द कहाँ से लाऊं ।।

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