Tuesday, May 24, 2011

शायर, महफिलों में भी बैठ कर...

शायर, महफिलों में भी बैठ कर, पिया नहीं करते,
लोगो की ज़िन्दगी में रह कर भी, जिया नहीं करते,
यूँ ही कभी-कभी लिख देते है दिल की हसरत,
जाम, पैमाने में ले कर भी, पिया नहीं करते...
लोग जानते नहीं हमको, क्यूँ की मुलाकात किसी से किया नहीं करते,
पर मेरे हर लफ्ज़ से वाकिफ है वो, तभी चैन से रहा नहीं करते,
जब भी देखते है मेरे लफ़्ज़ों को, तड़प वो जाते है,
हम वो है जो, दूसरों के सहारे जिया नहीं करते,
यूँ ही कभी-कभी लिख देते है दिल की हसरत,
जाम, पैमाने में भर कर भी, पिया नहीं करते,
शायर, महफिलों में बैठ कर, पिया नहीं करते...

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