जाने क्यूँ तुमसे नाता जोड़ा, जाने क्यूँ खुद से मुह मोड़ा,
जाने क्यूँ तुम्हारे दिल की आवाज़ सुनी, जाने क्यूँ खुद की पहचान खोयी,
सोती रातों में रोता रहा, सिमट कर अपने अन्दर ही अन्दर,
खुद की पहचान खोता रहा, टूटा अन्दर यूँ ही बिखर कर,
छिन-भिन हो गया मेरा वजूद, खो दी मैंने अपनी पहचान,
बंद दिलों के अँधेरे कमरों में, भटकता रहा बन कर अनजान,
सोचता था कभी तो समझेगे, मेरे दिल कि हसरत,
पर वो न समझे क्यूंकि वो थे मुझसे अनजान...
पहले कह कर मुझको अपना, मुझको अपना कर लिया,
आज सुबह जब आँख खुली तो खुद से तनहा कर दिया,
बहुत यकीन था उन पर, फिर क्यूँ खुद को साबित कर दिया,
थे अजनबी पहले भी, आज खुद से साबित कर दिया,
पहले कह कर मुझको अपना, मुझको अपना कर लिया,
आज सुबह जब आँख खुली तो खुद से तनहा कर दिया,
जाने क्यूँ तेरे दिल आवाज़ सुनी, जाने क्यों खुद की पहचान खोयी,
जाने क्यूँ तुझसे नाता जोड़ा, जाने क्यूँ खुद से मुह मोड़ा,
जाने क्यूँ तुझसे दिल ये जोड़ा, जाने क्यूँ मैंने खुद हो छोड़ा...
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