आज मेरे अमानुष ने, प्यार का यह सिला दिया,
बाँध मुझको मूरतों में, तालो में बंद किया,
कह मुझ मूरत को भगवान्, दर्जा जो ऊंचा दिया,
बाँध मुझको मूरतों में, तालो में बंद किया...
बना पत्थर की मूरत, मुझको यूँ जड़वत किया,
सलाखों के पीछे बंद कर, मुझको यूँ निशस्त्र किया,
शीश झुका के दिया, प्यार जो, सम्मान जो,
आज उस प्यार को, यूँ तालो में बंद किया,
कह मुझ मूरत को भगवान्, दर्जा जो ऊंचा दिया,
बांध मुझको मूरत में, तालो में बंद किया...
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