Monday, July 18, 2011

जाने क्यूँ दिल मे...

जाने क्यूँ दिल मे कुछ उलझे सवाल है,
यह तेरा नूर-ए-इश्क़ है या बस बेमतलब ख्याल है,
जाने क्यूँ दिल हर बातों को तुझसे ही जोड़ देता है,
कहीं मैं तन्हा रह ना जाउ, यह दिल-ए-सवाल है,
हर बात का गिला भी तू, शिकवा भी तू बन जाता है क्यूँ,
हर रात जागने की वजह भी तू, बन जाता है क्यूँ,
जाने क्यूँ दिल मे कुछ उलझे सवाल है,
यह तेरा नूर-ए-इश्क़ है या बस मेरा बेमतलब ख्याल है...

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