Monday, July 4, 2011

खुद-ब-खुद...

बहक गए जाम, लड़खड़ाने लगे कदम खुद-ब-खुद,
यह नशा शराब का था, या था बस खुद-ब-खुद,
हलक चीरती सी उतरी थी यादें, जाने क्यूँ खुद-ब-खुद,
यह नशा शराब का था, या था बस खुद-ब-खुद,
कोशिशें बहुत की जाम से जाम मिलाने की, तेरे गम को भुलाने की,
कोशिशें बहुत की यादों के सायों से पीछा छुटाने की, 
पर नशा जो चढ़ा यादों का, आँखों से कुछ बूंदे छलक उठी खुद-ब-खुद,
यह नशा शराब का था, या था बस खुद-ब-खुद...

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