लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Friday, July 22, 2011
सोचा न था ज़िन्दगी...
सोचा न था ज़िन्दगी इतनी खुश-नसीबी से मिलेगी मुझसे,
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