Sunday, July 8, 2012

भवरे की चाहत...



















आज, लफ्ज़ नहीं मेरे पास, भवरे की चाहत कहने को,
जब लिखने बैठा सोच में, खो गए लफ्ज़ जो कहने को,
भवरे की चाहत देख कर मैं, यूँ होले-होले मुस्काया,
लिखने की चाहत जागी, भवरा दिल यूँ शरमाया,
कली जो मुस्कुरायी देख कर मैं, भवरा दिल उड़ते आया,
भवरे की चाहत देख कर मैं, जाने क्यों शरमाया,
जब लिखने बैठा सोच में मैं, खो गए लफ्ज़ जो कहने को,
लफ्ज़ नहीं मेरे पास, भवरे की चाहत कहने को ।

कभी यहाँ उड़ा, कभी वहां उड़ा,
घुमा फिर-फिर वो कहने को,
कभी भूला-भटका फूलों टहनी,
अपनी चाहत को कहने को,
कली जो मुस्कुराई देख कर मैं, भवरा दिल उड़ते आया,
भवरे की चाहत देख कर मैं, जाने क्यूँ शरमाया,
जब लिखने बैठा सोच में मैं, खो गए लफ्ज़ जो कहने को,
लफ्ज़ नहीं मेरे पास, भवरे की चाहत कहने को ।।

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