कभी धुप, कभी छांव सी ज़िन्दगी,
दूर बस्ती, एक गाँव सी ज़िन्दगी,
न रुक ज़माने के मंज़र देख,
चलते ही रहना है ज़िन्दगी...
कभी आग का दरिया तैर पार करना ज़िन्दगी,
कभी ठोकरों से मिली हार का सम्मान करना ज़िन्दगी,
मचलती लहरों पर सवार होना ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी की नौका को नैय्या पार करना ज़िन्दगी,
न रुक ज़माने के मंज़र देख,
क्यूंकि, चलते ही रहना है ज़िन्दगी।
दूर बस्ती, एक गाँव सी ज़िन्दगी,
न रुक ज़माने के मंज़र देख,
चलते ही रहना है ज़िन्दगी...
कभी आग का दरिया तैर पार करना ज़िन्दगी,
कभी ठोकरों से मिली हार का सम्मान करना ज़िन्दगी,
मचलती लहरों पर सवार होना ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी की नौका को नैय्या पार करना ज़िन्दगी,
न रुक ज़माने के मंज़र देख,
क्यूंकि, चलते ही रहना है ज़िन्दगी।
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