Thursday, July 5, 2012

चातक ने आवाज़ लगायी...

















चातक ने आवाज़ लगायी, प्यासे मन से विरह आई,
अब तो आ जाओ काले बदरा, बरसो नभ से, प्यासा मनवा,
अब तो हो गयी त्राहि-त्राहि, प्यासे मन से विरह आई,
धुप लगी है चुभने-चुभने,
मन लगा है ऊबने-ऊबने,
पतझड़ ने भी ली अंगड़ाई,
प्यासे मन से विरह आई, चातक ने आवाज़ लगायी ।

हवा गरम है,
उमस न यह कम है,
चुभती सूरज की ये अंगड़ाई,
चातक ने आवाज़ लगायी,
प्यासे मन से विरह आई,
ऐसा क्यूँ है अत्याचार,
जीवों में है हाहाकार,
सबकी जीवाः घबराई,
मन से यह आवाज़ लगायी,
प्यासे मन से विरह आई,
चातक ने आवाज़ लगायी ।

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