Thursday, July 26, 2012

उम्मीद के बादल...

दूर गाँव उम्मीद के बादल घरड-घरड लहराए,
छलकी-हलकी गगरी में, बरखा जल ले आये,
देख चिर्रैया, चिर-चिर बोली, बादल मुस्काये,
दूर गाँव उम्मीद के बादल बरखा जल ले आये ।

थोड़ी हवा चली, थोड़ी फिज़ा खिली,
कुछ पंछी भी लहराए,
छलकी-हलकी गगरी में, बरखा जल ले आये,
मैं प्यासा-तरसा खड़ा था नीचे,
बूंदों की आस में आँखे मीचे,
जन्मों का प्यासा हो जैसे,
राही, भटका-प्यासा देख कर मुझको, बादल भी मुस्काये,
दूर गाँव उम्मीद के बादल घरड-घरड लहराए ।। 

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