Monday, January 21, 2013

तकदीर-इ-तराश...












तकदीर-इ-तराश में गुजरी है ज़िन्दगी,
हम तो गोया ख़ाक ही जिए,
कम करते रहे "मय" मयखाने से,
और सोचा किये कम ही पिए,
जब जागे तो सोचे सवेरा हुआ,
सोये कहाँ थे ये खुद से पूछा किये,
तकदीर-इ-तराश में गुजरी है ज़िन्दगी,
हम तो गोया ख़ाक ही जिए ।

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