परों की, परवाज़ कहाँ देखी है,
आज निकला हूँ घोसले से,
मेरी, आतिश-इ-आगाज़ कहाँ देखी है,
नन्हे पंख है मेरे, होसलों का आसमां बड़ा,
राह मुश्किल बेशक, मुझसा परवाज़ कहाँ,
थोड़े पंख हिला लू, थोड़ी हवा बहा लू,
थोड़ा रूप दिखा लू, थोड़ा समां बना लू,
मेरे पंखों से उड़ती मिट्टी के, गुबार कहाँ देखी है,
परों की परवाज़ कहाँ देखी है,
मेरी आगाज़ कहाँ देखी है,
आज निकला हूँ घोसले से,
अभी मेरी आतिश-इ-आगाज़ कहाँ देखी है ।

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