Friday, September 13, 2013

एक कलाम लिखते है...

चलो, आज एक कलाम लिखते है,
उन धुंधली पुरानी यादों के नाम लिखते है,
जो छोड़ चुकी है दामन मेरा,
जो जोड़ चुकी दामन तेरा,
उन अनकही बातों के नाम लिखते है,
चलो, आज एक कलाम लिखते है ।

यादों के तराने, क्या खूब बहाने,
कुछ किस्से मेरे भी यार पुराने,
उन ढलती शामों को सलाम लिखते है,
कुछ बिछड़े प्यारों के नाम लिखते है,
किसी अपने के नाम लिखते है,
चलो, आज एक कलाम लिखते है ॥

चलो, आज उसके नाम लिखते है, जिसने कलम थमाया,
चलो, आज उसका जाम रखते है, जिसने जाम जमाया,
चलो, धुंधली महरूम सी एक शाम लिखते है,
आओ, गुमनामो को सलाम लिखते है,
जो छोड़ चुकी है दामन मेरा,
जो जोड़ चुकी दामन तेरा,
उन अनसुनी यादों के नाम लिखते है,
चलो, आज एक कलाम लिखते है ॥।

No comments:

Post a Comment