पहाड़ों को चीर कर, मैंने बहना सीखा है,
आज़ाद हवा में उन्मुक्त रहना सीखा है,
कह दो ज़ंजीरों को मुझसे उलझे नहीं,
मैंने, बेड़ियों में बंद रहना नहीं सीखा है ।
आज़ाद हवा का परिंदा हूँ,
लफ़्ज़ों का पुलिंदा हूँ,
तबियत से उछालो हवा में,
मैं ऊँचाइयों का नुमयिन्दा हूँ,
पर्वतों पर भी, आस्मां में रहना सीखा है,
आज़ाद हवा में उन्मुक्त बहना सीखा है,
कह दो जंजीरों को मुझसे उलझे नहीं अभिनव,
मैंने, बेड़ियों में बंद रहना "नहीं" सीखा है ॥
आज़ाद हवा में उन्मुक्त रहना सीखा है,
कह दो ज़ंजीरों को मुझसे उलझे नहीं,
मैंने, बेड़ियों में बंद रहना नहीं सीखा है ।
आज़ाद हवा का परिंदा हूँ,
लफ़्ज़ों का पुलिंदा हूँ,
तबियत से उछालो हवा में,
मैं ऊँचाइयों का नुमयिन्दा हूँ,
पर्वतों पर भी, आस्मां में रहना सीखा है,
आज़ाद हवा में उन्मुक्त बहना सीखा है,
कह दो जंजीरों को मुझसे उलझे नहीं अभिनव,
मैंने, बेड़ियों में बंद रहना "नहीं" सीखा है ॥
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