संग-दिल हो कर, हमने भी देखे है ज़माने कई,
पर, कुछ भी नहीं ख़ाक के सिवा ।
एक खालीपन सा लिए फिरते रहा मैं,
ता-उम्र ज़िन्दगी ।
तलाश-ए-अक्स में शख्स की मौत हुई,
और, यूँ ही गुज़री बे-वजह ज़िन्दगी सारी ।
सब अकेले ही चलते है राहों में,
कोई साथी नहीं मेरा अभिनव ।
तुम भी रुक ही गए आख़िर,
एक वक़्त की नुमाइश ऐसी हुई ।
कहीं दूर चले जाना चाहता हूँ मैं,
जहाँ, मुझको मैं सुनाई न दूं ।
तमाशबीन से मिलते है मंज़र सारे,
बस मैं नहीं मिलता आज-कल ।
मेरे दर्द की नुमाईश कुछ हुई ऐसे,
कि, रो भी न सका और हँसता भी रहा अभिनव ।
नज़रें बदल गयी शायद मेरी,
आज, मैं ही नहीं मिलता भीड़ में अक्सर ।
ज़िन्दगी का क्या है, कट ही जाती है कटते-कटते,
बस साँसों की ये डोर ही नहीं कटती अभिनव ।
पर, कुछ भी नहीं ख़ाक के सिवा ।
एक खालीपन सा लिए फिरते रहा मैं,
ता-उम्र ज़िन्दगी ।
तलाश-ए-अक्स में शख्स की मौत हुई,
और, यूँ ही गुज़री बे-वजह ज़िन्दगी सारी ।
सब अकेले ही चलते है राहों में,
कोई साथी नहीं मेरा अभिनव ।
तुम भी रुक ही गए आख़िर,
एक वक़्त की नुमाइश ऐसी हुई ।
कहीं दूर चले जाना चाहता हूँ मैं,
जहाँ, मुझको मैं सुनाई न दूं ।
तमाशबीन से मिलते है मंज़र सारे,
बस मैं नहीं मिलता आज-कल ।
मेरे दर्द की नुमाईश कुछ हुई ऐसे,
कि, रो भी न सका और हँसता भी रहा अभिनव ।
नज़रें बदल गयी शायद मेरी,
आज, मैं ही नहीं मिलता भीड़ में अक्सर ।
ज़िन्दगी का क्या है, कट ही जाती है कटते-कटते,
बस साँसों की ये डोर ही नहीं कटती अभिनव ।
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