Thursday, December 5, 2013

मासूम सा एहसास...






















एक मासूम सा एहसास लिए फिरता हूँ,
शायद कुछ ख़ास लिए फिरता हूँ,
आसमां की परी है,
या आफ़त की छोटी पुड़िया लिए फिरता हूँ,
एक मासूम सा एहसास लिए फिरता हूँ,
शायद कुछ ख़ास लिए फिरता हूँ ।

तन से जुड़ी हो जैसे, ऐसा कुछ ख़ास लिए फिरता हूँ,
मौजूदगी नहीं है बावस्ता, फिर भी एहसास लिए फिरता हूँ,
मासूम सी छोटी उँगलियाँ, आँखों की चमक कुछ ख़ास लिए फिरता हूँ,
एक मासूम सा एहसास लिए फिरता हूँ,
शायद कुछ ख़ास लिए फिरता हूँ ।।

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