एक डोर सा बंधा चलता हूँ मैं,
पल, हर पल पलता हूँ मैं,
जाने क्यूँ गलता हूँ मैं?
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ।
तू है, और नहीं भी,
तुझसे मिलने, को लक़ीरें मलता हूँ मैं,
खुश भी हूँ, और हूँ भी ख़फ़ा,
उसकी (खुदा) ख़ताओं को माफ़ करता हूँ मैं,
जाने क्यूँ गलता हूँ मैं,
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ॥
चेहरों से नफ़रत हो गयी,
क्यूँ तुझसे मोहोब्बत हो गयी,
तेरे होने का यक़ीन लिए चलता हूँ मैं,
तेरी खुशियों में ही दुनिया लिए चलता हूँ मैं,
फिर भी, जाने क्यूँ गलता हूँ मैं,
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ॥।
पल, हर पल पलता हूँ मैं,
जाने क्यूँ गलता हूँ मैं?
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ।
तू है, और नहीं भी,
तुझसे मिलने, को लक़ीरें मलता हूँ मैं,
खुश भी हूँ, और हूँ भी ख़फ़ा,
उसकी (खुदा) ख़ताओं को माफ़ करता हूँ मैं,
जाने क्यूँ गलता हूँ मैं,
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ॥
चेहरों से नफ़रत हो गयी,
क्यूँ तुझसे मोहोब्बत हो गयी,
तेरे होने का यक़ीन लिए चलता हूँ मैं,
तेरी खुशियों में ही दुनिया लिए चलता हूँ मैं,
फिर भी, जाने क्यूँ गलता हूँ मैं,
शायद, तेरी याद में जलता हूँ मैं ॥।
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