मैं भी कुछ ख़ास लिखूंगा,
शायद कुछ आज लिखूंगा,
कल का एक राज़ लिखूंगा,
मैं भी कुछ ख़ास लिखूंगा ।
पढ़ कर दूजे की पंगती,
दिल का वो राज़ लिखूंगा,
जो समझा हूँ ज़िन्दगी का साज़,
वो ही मैं आज लिखूंगा,
दिल का एक राज़ लिखूंगा,
मैं भी कुछ ख़ास लिखूंगा ।।
हूँ अनपढ़ फिर भी एक बात लिखूंगा,
नहीं आता कुछ भी,
अपने जीवन का साज़ लिखूंगा,
जो सीखा हूँ दूजो से कल तक,
वो ही मैं आज लिखूंगा,
मैं भी कुछ ख़ास लिखूंगा ।।।
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