इस गुज़रे साल में मैं क्या छोड़ आया हूँ,
जाने क्या-क्या खोया, क्या-क्या पाया हूँ,
कुछ रिश्ते टूटे उलझे से,
कुछ नये जोड़ लाया हूँ,
इस गुज़रे साल में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
चाहता उनको रहा जो चाहत के काबिल न थे,
खोजता उनको रहा जो नज़रों से ओझिल रहे,
दूसरों की धुन में खोते-खोते, आज खुद को ही भूल आया हूँ,
इस गुज़रे साले में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
आदत खुद की बदल गयी, फिर चाहत क्यूँ न बदल गयी,
नज़रों को पढ़ते-पढ़ते, लफ़्ज़ों की भाषा क्यूँ यह बदल गयी,
यौवन को खोजते-खोजते, बचपन को पीछे छोड़ आया हूँ,
इस गुज़रे साल में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
सड़कों पर घूमा करता मैं,
रातों को जगता फिरता मैं,
तकिये के सिरहाने, गीली यादों को छोड़ आया हूँ,
इस गुज़रे साल में जाने क्या छोड़ आया हूँ...
जाने क्या-क्या खोया, क्या-क्या पाया हूँ,
कुछ रिश्ते टूटे उलझे से,
कुछ नये जोड़ लाया हूँ,
इस गुज़रे साल में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
चाहता उनको रहा जो चाहत के काबिल न थे,
खोजता उनको रहा जो नज़रों से ओझिल रहे,
दूसरों की धुन में खोते-खोते, आज खुद को ही भूल आया हूँ,
इस गुज़रे साले में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
आदत खुद की बदल गयी, फिर चाहत क्यूँ न बदल गयी,
नज़रों को पढ़ते-पढ़ते, लफ़्ज़ों की भाषा क्यूँ यह बदल गयी,
यौवन को खोजते-खोजते, बचपन को पीछे छोड़ आया हूँ,
इस गुज़रे साल में मैं क्या छोड़ आया हूँ...
सड़कों पर घूमा करता मैं,
रातों को जगता फिरता मैं,
तकिये के सिरहाने, गीली यादों को छोड़ आया हूँ,
इस गुज़रे साल में जाने क्या छोड़ आया हूँ...
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