Tuesday, June 5, 2012

मेरी कोई पहचान नहीं...





















लोग पूछते है मुझसे कौन हो तुम?
मेरी कोई पहचान नहीं,
भीड़ में खोया रहता हूँ,
मेरा कोई नाम-ओ-निशाँ नहीं ।

एक चेहरा हूँ अनजाना सा,
कुछ जाना सा, पहचाना सा,
मेरा वजूद, न नाम नहीं,
एक चेहरा हूँ गुमनाम सा,
मेरी कोई पहचान नहीं ।।

रहता हूँ सबके बीच,
पर सब मुझसे अनजान है,
कुछ दोस्त समझते है दुश्मन,
मेरा कोई नाम-ओ-निशाँ नहीं,
लोग पूछते है मुझसे कौन हो तुम,
मेरी कोई पहचान नहीं ।

भीड़ का हिस्सा हो कर भी,
हूँ भीड़ से मैं जुदा-जुदा,
कुछ रहते मुझसे खुश-खुश, कुछ रहते मुझसे खफ़ा-खफ़ा,
लोग पूछते है मुझसे कौन हो तुम,
मेरी कोई पहचान नहीं ।।

कभी ढोंगी, कभी पाखंडी सा,
कभी हूँ शिव-अखंडी सा,
लोग पूछते है मुझसे कौन हो तुम,
मैं कहता, मेरी कोई पहचान नहीं ।।।

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