लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, June 19, 2012
मैं पत्थर हूँ या इंसान...
मैं पत्थर हूँ या इंसान,
मेरी आदत से यह न जान,
शकल मेरी मानव सी है,
पर अन्दर से शैतान,
मैं पत्थर हूँ या इंसान,
मेरी आदत से यह न जान ।
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