चंचल मन, कितनी कौतुहल,
लफ़्ज़ों, यादों, बातों का दाएरा, दिल में उथल-पुथल,
कुछ सवाल करते खुद से, और जवाब मुझसे मांगती,
कुछ यादें संभाले हुए, दिल की दीवारों पर है टांगती,
अपनी ही उधेड़बुन में मगन, दिल में हलचल,
चंचल मन, कितनी कौतुहल,
होंठ सिले बैठी, मासूमियत से ताकती,
ज़हन परेशान, सवालों से लथ-पथ नज़रों से झांकती,
ये लफ़्ज़ों का दाएरा, दिल में उथल-पुथल,
चंचल मन, कितनी कौतुहल ।
कुछ काले-गोरे चेहरे,
चेहरों पर यादों के घेरे,
झुर्रियों से झांकता बचपन,
ज़िन्दगी की दौड़ में खोता यौवन,
बातों का दाएरा, दिल में हलचल,
चंचल मन, कितनी कौतुहल,
ज़िन्दगी का सफ़र, क्यूँ है रुकता नहीं,
चलता ही रहता हूँ, मैं भी थकता नहीं,
यादों में खुद से मुलाकातों का यौवन,
इस बे-मतलब दौड़ में, मेरा खोया बचपन,
यादों का दरिया, दिल में मंथन,
चंचल मन, कितनी कौतुहल ।।।

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